The King who defeated Delhi Sultanate total 17 times, iiQ8
दिल्ली सल्तनत को 17बार पराजित करने वाले हिंदुआ सूर्य,यादव केसरी महाराजा विक्रमजीत :
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बंगाल के विक्रमादित्य के नाम से ख्यात महाराज विक्रमजीत घोष १४ वीं शताब्दी में राढ़-बंगाल के गोपभूम में मंगलकोट राज्य के यादव (सदगोप) शासक
थे जिन्होंने दिल्ली सल्तनत के 17 आक्रमण विफल कर पराजित किया था।
भगवान महादेव के भक्त और महाराज श्वेत के वंश में जन्मे राजा विक्रमजीत अत्यंत धार्मिक थे और महादेव के उपासक होने के साथ साथ वैष्णव भी थे।
उनके राजसभा में विद्वान गीतगोविन्द की चर्चा करते ।
इनका राज्य मंगलकोट बंगाल में उन दिनों प्राचीन समृद्ध नगरी और नौव्यापार केंद्र था ।
पाल और सेन सम्राट के शासन में मंगलकोट से दक्षिण में लंका और पूरब में ब्रह्मदेश,
श्यामदेश, चम्पादेश से बाली द्वीप पर व्यापार हुआ करते थे ।
इनकी नौशक्ति पूर्णत सदगोप यादव योद्धाओं के हाथ मे
थी ।
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दिल्ली सल्तनत के चरम समय मे भी बंगाल एक स्वतंत्र हिन्दू राज्य बनके खड़ा हुआ था । बंगाल के तत्कालीन सम्राट विश्वरूप सेन ने दिल्ली सल्तनत के सुल्तान गियासुद्दीन बलबन को खदेड़ा था ।
इसी बीच सन 1303 में दिल्ली सल्तनत की सेना और उज़्बेक गाज़ी हमलावारों ने मंगलकोट पर चढ़ाई कर दी ।
मंगलकोट के पश्चिमी सीमा के
पहाड़ी छेत्र में दिल्ली सुल्तान की सेना ने अपना डेरा डाल आक्रमण शुरू किया ।
दिल्ली सल्तनत के आक्रमण देख महाराज विक्रमजीत ने अपने यादव सरदारों की सरपरस्ती में सेना को सुसज्ज किया।
बंगाल में हिंदुओं की ढाल महाराज विक्रमजीत के नेतृत्व में वीर सदगोप यादव सेना अपनी कुलदेवी माँ अभया चंडी की जयध्वनि कर उज़्बेकि ग़ाज़ीओ पर टूट पड़े ।
शाम का सूरज ढलते ढलते सम्पूर्ण उज़्बेक सेना खत्म हो लाशों के पहाड़ के रूप में तब्दील हो गई जिनको महाराज विक्रमजीत के आदेश से अजय नदी की धारा में बहा दिया गया।
प्रथम विफल आक्रमण के पश्चात दिल्ली के सुल्तान ने फिरसे सेना भेजी परन्तु एक बार फिर वीर यादव योद्धाओं ने
सुल्तान की सेना को पराजित किया।
इसी तरह 1303 से 1327 के बीच एक के बाद एक 17 बार दिल्ली के सुल्तान ने बंगाल पर आक्रमण किया।
महाराज विक्रमजीत के रणकौशल ने हर बार आक्रमण को विफल किया और उन 17 गाज़ियों को मार खदेड़ा।
महाराज बिक्रमजीत घोष को कुलीन राढ़ी ब्राह्मणों द्वारा “बिक्रम केशरी” की पदवी मिली।
महाराज बिक्रमजीत की राजधानी उजानी नामक स्थान पर थी।
यही वह स्थान है जहां से अधिकांश मध्यकालीन शिलालेख एकत्र किए गए थे।
उन गाजी हमलावरों में से 7 के नाम मिल गए हैं जो कुछ इस प्रकार हैं:
1. मुहम्मद।
2. हाजी फिरोज।
3. गुलाम पठान।
4. मोहम्मद इस्माइल गाज़ी।
5. अब्दुन्नाह गुजराटी।
6. मक्कुम बिलाये।
7. गजनवी।
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मां भारती का वीर सपूत विक्रमजीत लड़ते लड़ते वीरगति को प्राप्त हो गए लेकिन कभी भी जीतेजी अपने क्षत्रिय धर्म और संस्कृति के पथ से अडिग नही हुए।
उनकी मृत्यु के बाद तुर्क आक्रमणकारियों ने अस्थायी रूप से मंगलकोट पर कब्जा कर लिया और उन मारे गए गाज़ियों के लिए कब्रों का निर्माण किया, जिनके अवशेष आज भी मौजूद हैं।
● तथ्यसूत्र :
इतिहासकार राखल दास बनर्जी
बेनॉय घोष, पश्चिम बंगाल की संस्कृति।
जेसीके पीटरसन, बीरभूम जिला
गजटियर।
दिनेश चंद्र सेन, बृहत बंग, पृष्ठ संख्या
501
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